खबरदार !
सावधान !!
अपनी जुबान बन्द करो
बेमतलब का शोर यूं मत करो !
निगाहों को इधर-उधर आवारा मत छोडो !!
आदमी हो
आदमियत का कुछ भी तो ख्याल करो !
अपनी पाशविकता का नंगा-नाच मत दिखाओ !!
सलीकापन सीखो
जिन्दगी विष-वमन करने को नही है !
तुम्हारी लियाकत बस यहीं तक है
कि जुबान बन्द करो
नीच ! ओ नीच !!
भृष्ट इरादों वाले आदमी
कीचड़-सी भावना वाले
सडे-गले विचारों वाले
लिजलिजे, गिलगिले केंचुये सी
जिन्दगी वाले !!
शर्म नही आती है
अफवाहें फैलाते हो !
शराफत को अपनी शरारत का
शिकार बनाते हो !
जानता हूँ, कितने पानी में हो ?
बस ..... गनीमत है ।
मुँह मत खोलो
बोलो, सोच-समझ बोलो
अनाप-शनाप बोलोगे
पिटोगे ??
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