Wednesday, May 16, 2007

कुछ दूर हमारे साथ चलो हम दिल की कहानी कह देंगे,
समझे न जिसे तुम आंखो से वो बात ज़ुबानी कह देंगे,


फ़ूलों की तरह जब होठों पर इक शोख तबस्सुम बिखरेगा,
धीरे से तुम्हारे कानों मे इक बात पुरानी कह देंगे,

ईज़्हार-ए-वफ़ा तुम क्या समझो इक़रार-ए-वफ़ा तुम क्या जानो,
हम ज़िक्र करेंगे गैरों का और अपनी कहानी कह देंगे,

मौसम तो बडा ही ज़ालिम है तूफ़ान उठाता रहता है,
कुछ लोग मगर इस हलचल को बदमस्त जवानी कह देंगे,

समझे न जिसे तुम आंखो से वो बात ज़ुबानी कह देंगे,
कुछ दूर हमारे साथ चलो हम दिल की कहानी कह देंगे.

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