Wednesday, April 25, 2007

ध्यातव्य

अस्पृश्यता.....
सही में हिन्दुस्तान का दुर्भाग्य कह
या अशोभन व्यवहार ?
आदमी आदमी से प्यार करने को बना है
सभी कहते हैं, सुनते हैं
लिखा, पढ और सुना सब कहीं
किन्तु व्यवहार में कहीं-कहीं दिखता हैं
मुझे तो लगता है
यह घरेलू सामजिक बीमारी है
जो हमारे घर-परिवारों को नष्ट करने में लगी है
इसका उपचार .... ?
आपसी भाईचारे की भावना से करना है
जियो और जीने दो की डगर पर चलना है
घृणा को प्यार में बदलना है
आदमी को आदमी से जुड़ना है
कहीं नही मुड़ना है, सीधे ही चलना है
सत्य-प्रेम-करुणा का मूल मंत्र पढना है
देश की खुशहाली
श्रम-साहस-उत्पादन
संक्रामक रोग अस्पृश्यता को दूर कर
मानव के झूठे अहम को चूर कर
सांप्रदायिक सदभावना से
सृजन-शान्ति-सुख की ओर
दृढ संकल्प से श्रद्धा-स्नेह-भाव से

मानवता का मंगल कलश स्थापित करना है
तनिक नही डरना है !

आगे को बढ़ना है !!

No comments:

Post a Comment