Saturday, April 21, 2007

उदबोधन

देश के नौनिहालों !
योगियों,
कवियों,
चिन्तको,
समाज-सुधारकों,
आओ, देखो अपना देश
प्यारा-न्यारा भारत देश
राजा-रानी वाला देश

सजना-सजनी वाला देश
सुधियाँ-सपनों वाला देश
परियों-हूरों वाला देश
चिन्तन-मनन वाला देश
विक्रम वीरों वाला देश
गौरव-महिमा वाला देश
कौरव-पाण्डव वाला देश
यानी सबका सब अतीत

जो सब कुछ गया बीत
उसकी गाथा गाते हम

छूटे वर्तमान की दम !
कैसा अब भविष्य होगा -
इसका क्या होना है गम ?
यदि सचमुच होता गम
पलकें अपनी कर लो नम
हर दरवाजा मुँह बाए है
आये जाये खुलकर यम् ?
बढकर कुछ उपचार करो
आगे बढ उपचार करो
नर नारायण प्यार करो

कहीं उदासी रह ना जाये
जो बन पड़े विचार करो !!

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