Saturday, September 19, 2009

ज़ालिम तेरे ज़ुल्म की कोई हद नही,
तुझे मज़लूम की कोई फिक्र नही,
कोई जिये या मरे तेरे लिए,
तुझे इस की कोई फिक्र नही।

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