आँखों में टूटे सपनो की चुभन आज भी बाकी है
बालों में उसकी उँगलियों की छुअन अब भी बाकी है
ज़माने की लगाई आग तो कब की बुझ गई यारों
मेरे सीने के छालों में जलन अब भी बाकी हैं
कौन कहता है कोई रिश्ता नही रहा उन से
उसके माथे पे मेरे नाम की शिकन अब भी बाकी हैं
छाने लगे अंधेरे तो क्या हुआ
वादों की किरण अब भी बाकी हैं
मुझ से अपना दर्द छुपा नही सकते
मुझ में तुम्हारी नज़रें पढने का फन आज भी बाकी हैं।
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