Saturday, January 19, 2008

संकल्प

नफरतों के तम के विनाश हेतु आइये तो,
स्नेह का चराग आज दिल में जलाया जाये।
एक-एक उंगली की शक्ति भी बहुत प्यारे,
देश का गोवर्धन मिल के उठाया जाये।
नल-नील दिल में बसे हैं शक्ति, भक्ति वाले,
पाहनों का सेतु आंख खोलिए बनाया जाये।
खारे सिन्धु में भी स्रोत फुट जायेंगे सुधा के,
एकता की डोर से जो मन्थन रचाया जाये।

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