Friday, January 18, 2008

होंठ नही कह सकते जो अफसाना दिल का,
शायद नज़र से वो बात हो जाये।
इस उम्मीद से करते है इंतज़ार रात का,
कि शायद सपनों में ही मुलाक़ात हो जाये॥

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