Thursday, November 1, 2007

वो एक दीया,
जिसने ललकारा है, अँधेरे को
वो एक दीया,
जिसने हिम्मत की है, तेज़ आँधियों से लड़ने की
वो एक दीया,
जो खुद जला है, औरों की रोशनी के लिए
वो एक दीया,
जो प्रेरणा-स्त्रोत है , हर मद्धिम पड़े दीये के लिए
वो एक दीया,
जिसे ख्याल है, अपनी मर्यादा का
वो एक दीया,
जिसे विश्वास है, अपनी काबिलियत पर
वो एक दीया,
जिसे गर्व है , अपनी संस्कृति पर
वो एक दीया,
जो कहीं-ना-कहीं बसा है, हर किसी के हृदय में

क्यों ना उन दीयों को साथ यूँ सजाएँ हम ,
ना अँधेरा रहे कहीं दूर-दूर तक
कुछ इस तरह से दीवाली मनाएँ हम ।

आप को दीवाली की बहुत-बहुत शुभकामना
 

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