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Wednesday, October 31, 2007
हसरतों की निगाहों पे सख्त पहरा है,
ना जाने किस उम्मीद पे ये दिल ठहरा है,
चाहतों की कसम ऐ दोस्त,
अपनी दोस्ती का रिश्ता सागर से भी गहरा है।
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