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Thursday, April 26, 2007
फ़िज़ाओं में तुम हो,
हवाओं में तुम हो,
बहारों में तुम हो,
घटाओं में तुम हो,
धूप में तुम हो,
शामों में तुम हो,
सच ही सुना था बुरी आत्मा का कोई ठिकाना नही होता ।
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