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Thursday, April 26, 2007
सोचती हूँ की
ये दौलत
ये शोहरत
ये बंगले
ये गाड़ियाँ
ये दुनिया भर का एशो आराम
सब त्याग कर सन्यासी बन जून
पर फिर ये सोचता हूँ - पहले ये सब मिले तो सही ।
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