Thursday, March 22, 2007

दिल में ह्जारों अरमां लिये कुछ कर गुजरने के लिये,

चल पड़ा मैं इक जवां दुनिया बदलने के लिये,

यूं तो अकेला भी फ़तह का ताज ला सकता हूं मैं,

कदम कुछ तेज होंगे जो आप भी हों साथ, चलने के लिये .....................................

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